छत्तीसगढ़ को धार्मिक और पर्यटन क्षेत्र में स्थापित करने भारत सरकार की पहल, देश-विदेश के पर्यटकों को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहरों के बारे में जानने का मौका मिलेगा
छत्तीसगढ़ के धार्मिक स्थलों और पर्यटन क्षेत्र को वैश्विक पटल पर स्थापित करन की दिशा मे भारत सरकार सराहनीय पहल कर रही है। केंद्र सरकार ने इन विभिन्न परियोजनाओं के समग्र आंकलन और विश्लेषण के लिए संबंधित कार्यों की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट राज्य सरकार से मांगी है।
जिसके तहत छत्तीसगढ़ के कुंभ माने जाने वाले राजिम में राजीव लोचन मंदिर कॉरिडोर का जीर्णोद्धार किया जाएगा। रायपुर जिले के पुरखौती मुक्तांगन में एक नया कन्वेंशन सेंटर बनाने की घोषणा हुई है। राष्ट्रीय महत्त्व की धार्मिक नगरियों के लिए कार्यरत प्रसाद योजना के तहत सिरपुर स्थित बागेश्वरी मंदिर के विकास किया जा रहा है। साथ ही राज्य के प्रमुख पांच शक्तिपीठों के मार्ग को प्रमुख राजमार्गों से जोड़ते हुए प्रोजेक्ट्स बनाए जा रहे है।
इन योजनाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ राज्य में पर्यटन के बुनियादी ढांचे का विकास कार्य किया जा रहा है। भारत सरकार की नई प्रसाद योजना से इन धर्मनगरियों के विकास को पंख लग रहे है। “तीर्थयात्रा कायाकल्प व आध्यात्मिक विरासत संवर्धन अभियान” और “स्वदेश दर्शन” के तहत छत्तीसगढ़ राज्य के पर्यटन क्षेत्र को वित्तीय सहायता दी जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ स्थित बम्लेश्वरी मंदिर का दौरा किया था। प्रसाद योजना के तहत इस क्षेत्र के विकास हेतु वर्ष 2020-21 में 48.44 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई थी। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में कुदरगढ़ मंदिर को भी प्रसाद योजना के तहत विकासकार्य हेतु चिन्हित गया है।
पर्यटन मंत्रालय मंत्रालय ने ‘जशपुर कुनकुरी-मैनपाट-कमलेशपुर-कुरदर-सरोधादादर-गंगरेल-कोंडागांव-नथियानवागांव-जगदलपुर-चित्रकूट-तीरथगढ़’ के विकास परियोजना को भी मंजूरी दे दी है। स्वदेश दर्शन योजना के तहत 96.10 करोड़ रुपये और छत्तीसगढ़ में स्वदेश दर्शन 2.0 योजना के तहत पर्यटन के क्षेत्र में विकास के लिए दो स्थानों का चयन किया गया है। पर्यटन मंत्रालय ने भी अतुल्य भारत के थीम को साकार करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य के पर्यटन विकास के लिए करोड़ों रुपयों की सौगात दी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को यथार्थ में बढ़ने के लिए भारत सरकार अब दृढ़प्रतिज्ञ है। देसी पर्यटन को बढ़ावा देने से इस क्षेत्र की संस्कृति की वैश्विक पहचान बनेगी। जिससे देश-विदेश के पर्यटकों को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहरों के बारे में जानने समझने का मौका मिलेगा।